बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
सामाजिक विकास पर अग्रांकित कारकों का विशेष प्रभाव पडता है। इन कारकों के प्रतिकूल होने पर सामाजिक विकास का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
1. सामाजिक अधिगम (Social Learning) समुचित सामाजिक विकास के लिए बच्चों को सामाजिक अधिगम तथा सामाजिक सहभागिता का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए। यदि उन्हें सामाजिक अधिगम से वंचित कर दिया जाये तो उनके समक्ष सामाजिक विकास का संकट उत्पन्न हो जायेगा और यदि माता पिता तथा अन्य पारिवारिक सदस्य बच्चों को पर्याप्त समय नहीं देते हैं तथा उन्हें सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित नहीं करते हैं तो वे सामाजीकरण के दृष्टिकोण से सामाजिक वंचन के शिकार हो जाते हैं।
2. शारीरिक संरचना (Physical Structure ) बालकों के सामाजिक विकास में शारीरिक सरचना का प्रत्यक्ष प्रभाव दिखाई देता है। शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ बालक सामाजिक अवसरों का अपेक्षित लाभ प्राप्त कर लेते हैं और सामाजिक विकास उनमें अपेक्षाकृत शीघ्र होता है। (Hardy 1939)। इसके विपरीत अक्षम (जैसे गूंगे, बहरे आदि) बालक इस लाभ से कुछ सीमा तक वंचित रह जाते हैं और उनमें सामाजिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। शारीरिक दोषों से युक्त बालकों का उनके समूह के अन्य बालक उपेक्षा करते देखे गये हैं। इसका आभास होने पर अस्वस्थ बालकों में हीनता ग्रन्थि ( Inferiority complex) विकसित हो जाती है जिससे उनका सामाजिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।
3. पारिवारिक कारण (Family Factors) - प्रायः यह देखा जाता है कि छोटे परिवार के बच्चों में सामाजिक परिपक्वता शीघ्र और बड़े परिवारों के बच्चों में सामाजिक परिपक्वता विलम्ब से प्रदर्शित होती है। छोटे परिवारों के बच्चे अपनी आयु के बच्चों में अधिक लोकप्रियता प्राप्त कर लेते हैं और उन्हें सामाजिक लोकप्रियता अधिक प्राप्त होती है। (Bany 1942 ) इसका कारण यह बताया जाता है कि छोटे परिवार में बच्चों पर प्रौढ़ों का ध्यान अधिक रहता है और उन्हें व्यवहार सम्बन्धी निर्देशन अधिक प्राप्त होता है। इसके विपरीत तब के परिवारों के बच्चों पर उनका ध्यान कम जाता है और व्यवहार सम्बन्धी निर्देशन भी कम मिल पाते हैं इसलिए उनमें सामाजिक परिपक्वता विलम्ब से प्रदर्शित होती है (Hardy 1937, Bonney 1942 )। इसी प्रकार पारिवारिक सम्बन्ध भी सामाजिक विकास को प्रभावित करता है। परिवार में कलह, झगडे, पालन-पोषण में कमी आदि से सामाजिक विकास अवरुद्ध होता है। विघटित पारिवारिक स्थितियों अनेक अवांछित गुणों को जन्म देती है। इसीलिए परिवार को एक अधिगम स्थली (Set of learning) कहते हैं।
4. मनोरंजन की सुविधा (Recreation Facilities) - बालकों में सामाजिक विकास को समुचित दिशा प्रदान करने के लिए मनोरंजन की व्यवस्था आवश्यक है। बच्चों के लिए खेलकूद पिकनिक भ्रमण, रेडियो, समाचारपत्रों तथा चलचित्रों की व्यवस्था अवश्य करना चाहिए। इससे उन्हें अनेक प्रकार की जानकारी मिलती है जो सामाजिक विकास की प्रक्रिया को उचित गति प्रदान करती है। इन सुविधाओं से वंचित बालकों में सामाजिक विकास की प्रक्रिया मन्द होती है तथा सामाजिक परिपक्वता विलम्ब से होती है। परन्तु यह ध्यान रखना आवश्यक होता है कि बच्चों को मनोरंजन के दूषित साधनों को प्रयोग करने का अवसर न मिले।
5. मित्र एवं शिक्षक (Friends and Teachers)- बच्चों के सामाजिक विकास में मित्रों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। सामाजिक विकास की अवधि में बच्चे अनेक अन्य बच्चों से मैत्री सम्बन्ध स्थापित करते हैं। यदि उन्हें अच्छे मित्र मिल जाते हैं तो उनमें वांछित गुणों का विकास होता है, परन्तु असामाजिक एवं अवांछित मित्रों के साथ रहने पर उनमें सामाजिक गुणों का विकास अवरुद्ध हो जाता है और उनमें असंगत व्यवहार प्रदर्शित होने लगते हैं। (Utteach and Hoving, 1969)। बालकों के सामाजिक विकास में शिक्षक की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। यदि अध्यापक बच्चों की पूरा ध्यान रखते हैं, उसके साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करते हैं और अच्छी-अच्छी आदतें विकसित करने मं सक्रिय रहते हैं तो बालकों का सामाजिक विकास उचित ढंग से होता है अन्यथा अवांछित गुण विकसित हो सकते हैं।
6. वैयक्तिक कारण (Individual Factors) सामाजिक विकास पर बालकों की बुद्धि एवं व्यक्तित्व का भी स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। काच (Coch, 1933) ने अपने अध्ययनों के आधार पर यह पाया कि प्रतिभाशाली बालकों को सामान्य या मन्द बालकों की तुलना में सामाजिक विकास में अधिक सफलता मिलती है। इसी प्रकार हार्डी (Hardy, 1937) ने भी कहा है बुद्धिमान बालक मन्द बुद्धि बालकों की तुलना में स्कूल या कालेज में अधिक सफलता प्राप्त करते हैं। बोनी (Bony, 1942 ) को अपने अध्ययनों में कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनसे यह पता चलता है कि आकर्षक, प्रसन्नचित्त, सहयोगी प्रवृत्ति वाले कार्य के प्रति उत्तरदायित्व रखने वाले तथा दयालु बालक सामाजिक समायोजन में अधिक सफल होते हैं जबकि इन शीलगुणों से हीन बच्चे सामाजिक समायोजन में कम सफल होते हैं।
7. प्रारम्भिक सामाजिक अनुभूतियाँ (Early Social Experiences ) सामाजिक विकास पर बालक के जीवन की प्रारम्भिक अनुभूतियों का विशेष प्रभाव पड़ता है। यदि बच्चों का प्रारम्भिक जीवन सुखद रहा है तो आगे चलकर उनमें सामाजिक गुणों का विकास अपेक्षाकृत अधिक संतुलित रूप में होता है। इसके विपरीत कष्टदायक अनुभूतियाँ सामाजिक क्रिया-कलापों के प्रति अरुचि उत्पन्न करने में योगदान देती हैं जिसके परिणामस्वरूप बालकों का व्यवहार समाज विरोधी हो सकता है। सीयर्स ( 1970) के अनुसार संरक्षकीय प्रत्याशाएँ (Parental expectations) भी प्रारम्भ में सामाजिक विकास को प्रभावित करती हैं। बच्चे प्रत्याशाओं को महत्व देते हुए आक्रामकता जैसे अवांछित व्यवहारों का परित्याग कर देते हैं। इसी प्रकार यदि बच्चों को प्रशिक्षण देने में लोकतांत्रिक पद्धति प्रयुक्त की जाती है तो इससे बच्चों में जिज्ञासा एवं रचनात्मकता बढ़ती है।
|
- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
- प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।